पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हिन्दी पत्रकारिता के बदलते आयाम पर संगोष्ठी
आयोजित।
रायपुर।कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय
में सोमवार 14 जनवरी को जनसंचार विभाग द्वार हिन्दी पत्रकारिता के बदलते आयाम विषय
पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं निर्देशक विकासशील समाज एवं
अध्ययनपीठ (सी.एस.डी.एस) नई दिल्ली से श्री अभय कुमार दुबे रहें। तथा अध्ययक्षता
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सच्चितानंद जोशी ने किया। वरिष्ठ अतिथी के रूप में
छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक मंच के प्रमुख श्री कनक तिवारी भी उपस्थित रहे। कारेयक्रम की
शुरूवात अतिथीयों के स्वागत से किया गया।
इस दौरान मुख्य
वक्ता श्री दुबे जी नें हिन्दी पत्रकारिता के विभिन्न स्वरूपों के बदलते आय़ाम पर
प्रकाश डालते हुए बताया कि हिन्दी पत्रकारिता के दो चरण रहें पहला पत्रकारिता का
विकास राजनितिकरण से हुआ और दूसरा विकास के साथ औद्योगिकीकरण के साथ हुआ। उन्होने
पत्रकारिता के शुरूवात के दशक को जानने के लिए उन्नींसवें दशक से पहले जाने की बात
कही। साथ ही आरंभ के सालों में हुए शोध और लेखन कार्यों पर प्रकाश डाला और आजादी
के बाद की पत्रकारिता के स्वरूप को बताया।
उन्होने आगे कहा
कि पत्रकारिता की दिशा में इमरजेन्सी के दौरान राजनैतिककरण का प्रभाव देखने को
मिला। आन्दोलनों के दौरान अखबारों की प्रसार संख्या में वृद्धि हो जाती थी और
आन्दोलन समाप्त हो जाने के बाद प्रसार संख्या में कमी आ जाती थी। 80 के दशक में एक
नया बदलाव देखने को मिला पाठकों की जरूरत अखबारों की जरूरत बनीं। हिन्दी
पत्रकारिता जिस उछाल का इंतजार कर रही थी वह इस दौरान प्रारंभ हुई।
कार्यक्रम के विशिष्ट
अतिथी कनक तिवारी जी नें पत्रकारिता के साथ साथ स्वामी विवेकानंद की जीवनी पर
प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति श्री डा.
सच्चितानंद जोशी ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का आय़ाम जितना व्यापक है उतना ही वह
रोचक है। तथा पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से से यह आशा की कि वे
आगे चलकर हिन्दी पत्रकारिता में अपना योगदान देंगे।
कार्यक्रम का सफल
संचालन जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. शाहिद अली नें और आभार प्रदर्शन सहायक
प्राध्यापक राजेन्द्री मोहन्ती द्वारा किया गया। इस दौरान सभी विभाग के
विभागाध्यक्ष और विद्यार्थी उपस्थित थे।