संचार जीवन का अंग: श्री जोशी
रायपुर, २४ सितम्बर !
जीवन में स्वास लेना जिस तरह आवश्यक होता है उसी प्रकार व्यक्ति को जीवित रहने के लिए संचार भी जरुरी है चाहे वह हमारे विचारो का संचार हो या फिर हमारी क्रिया या विपरीत प्रतिक्रिया का ! सही मायने में संचार हमारे जीवन का एक अंग है जिसके बिना व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं ! एक निर्जीव वास्तु भी हमे संचरण का भाव सिखाता है ! जब हम किसी पत्थर या बदल को देखते है तो उसमे भी हम प्रतिक्रिया खोज लेते है जिससे प्रतीत होता है के वे भी हमसे संचार करते हो ! उक्त उदगार कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सच्चिदानंद जोशी ने विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में आयोजित उन्मुखी कार्यक्रम में कही !
विश्वविद्यालय कुलपति श्री सच्चिदानंद जोशी |
श्री जोशी ने जनसंचार विभाग के उपस्तिथ छात्र छात्राओं को पत्रकारिता में संचार की भूमिका बताते हुए कहा की किसी और को सिखाने से पहले हमे स्वयं सीखना होगा ! आज जीवन की गाडी जिस रफ़्तार से आगे बढ़ रही है हम सब उसी भागम भाग में दौड़ते चले जा रहे है ! हमे जिंदगी की रफ़्तार को धीमा कर उसे जीना सीखना होगा और यह तभी संभव है जब हम क्या होगा को छोड़कर क्या कर रहे है के बारे में सोचे !
जनसंचार विभाग के उपस्तिथ छात्र छात्रा |
उन्होंने आगे कहा की समाज में विश्वास काबिल बनना ही असली सफलता है जिसके लिए संचार के गुण होना अति आवश्यक है ! आज के सोशल नेट्वोर्किंग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा की इनके माध्यम से हम लोगो से जुड़ते तो जा रहे है किन्तु समाज के वास्तविक गतिविधियों व मूलस्वरूप से काफी दूर हो चुके है !
सही संचार के लिए हमे अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा, अपनी संग्रहण शक्ति और अपनी सोच बढ़ानी होगी कार्यक्रम में जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. शाहिद अली, व्याख्याता राजेंद्र मोहंती सहित विभाग के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे !
No comments:
Post a Comment